"चेन्नई से सिलिकॉन वैली तक: अरविंद श्रीनिवास की कहानी हर छात्र के लिए प्रेरणा"

MAHESH CHANDRA PANT
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 "चेन्नई से सिलिकॉन वैली तक: अरविंद श्रीनिवास की कहानी हर छात्र के लिए प्रेरणा"


   हर छात्र के दिल में कहीं न कहीं एक सपना पलता है—बड़े बनना, कुछ नया करना, दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाना। लेकिन सफर आसान नहीं होता। कई बार चुनौतियाँ रास्ता रोकती हैं, लेकिन अगर हिम्मत हो और सीखने की भूख जिन्दा हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।

आज हम आपको एक ऐसी ही शख़्सियत की कहानी बता रहे हैं, जिनकी यात्रा तमिलनाडु के एक साधारण शहर चेन्नई से शुरू होकर दुनिया की सबसे तेज़-तर्रार टेक्नोलॉजी कंपनियों के बीच तक पहुँची—जिनका नाम है अरविंद श्रीनिवास।

साधारण शुरुआत, असाधारण सोच-अरविंद श्रीनिवास का जन्म 7 जून, 1994 को चेन्नई के एक सामान्य परिवार में हुआ। बचपन से ही उनका रुझान सवाल पूछने, नई बातें जानने, और टेक्नोलॉजी को समझने की ओर था। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT मद्रास) से इंजीनियरिंग में स्नातक और परास्नातक डिग्री हासिल की, और यहीं से उनके सपनों को पंख लगे।

मेहनत, लगन और रिसर्च का रास्ता-IIT के बाद, अरविंद ने अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले (UC Berkeley) में पीएचडी की। वहां पर रहते हुए उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और कम्प्यूटर साइंस में रिसर्च की, और OpenAI, Google Brain तथा DeepMind जैसी नामी कंपनियों में काम किया।वे हमेशा कहते हैं—"बड़े सपने देखो, लेकिन उन्हें पाने के लिए बड़ी मेहनत करो।"

अपनी कंपनी, अपनी पहचानPerplexity AI साल 2022 में अरविंद ने अपने जैसे जिज्ञासु और होनहार साथियों के साथ मिलकर “Perplexity AI” नाम से कंपनी शुरू की। उनकी सोच स्पष्ट थी—लोगों को इंटरनेट पर भरोसेमंद और सीधा जवाब मिले, सिर्फ लिंक नहीं।इस कंपनी ने दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित कंपनियों और व्यक्तियों से निवेश हासिल किया, और कुछ ही साल में Perplexity AI की गिनती ग्लोबल टेक्नोलॉजी जगत में होने लगी। 

TIME मैगज़ीन ने 2024 में अरविंद को दुनिया के सबसे प्रभावशाली AI लीडर्स में शामिल किया।छात्रों के लिए संदेश-आज अरविंद श्रीनिवास हर छात्र के लिए एक मिसाल हैं। वे कहते हैं:"बड़ी कंपनियां तुम्हारे आइडिया को कॉपी कर सकती हैं, लेकिन मेहनत, लगन और सीखने की गति कोई नहीं चुरा सकता।""युवाओं को चाहिए कि वे सोशल मीडिया पर अपना समय व्यर्थ करने के बजाय नयी टेक्नोलॉजी सीखें, ताकि भविष्य की दुनिया में वे सबसे आगे रहें।"

निष्कर्ष-अरविंद श्रीनिवास की कहानी हमें यही सिखाती है कि बड़ी शुरुआत जरूरी नहीं—अगर सोच और मेहनत बड़ी हो!छात्रों, चाहे चुनौतियाँ जितनी भी हों, कभी हार मत मानो। अपनी दिलचस्पी, जिज्ञासा और लगातार सीखते रहने की आदत से आप भी एक दिन दुनिया में बड़ा नाम कमा सकते हैं।

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